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Wednesday, February 13, 2013

बदला न अपने आप को जो थे वही रहे


बदला अपने आप को जो थे वही रहे 
मिलते रहे सभी से मगर अजनबी रहे

दुनिया जीत पाओ तो हारो ख़ुद को तुम
थोड़ी बहुत तो ज़हन में नाराज़गी रहे

अपनी तरह सभी को किसी की तलाश थी
हम जिसके भी क़रीब रहे दूर ही रहे

गुज़रो जो बाग़ से तो दुआ माँगते चलो
जिसमें खिले हैं फूल वो डाली हरी रहे 
Nida Fazli

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